Short Story "बम्बई की बरसात" रेडीओ पर चलता गीत "ऐ दिल - ए - नादान" जिसके संगीतकार हैं श्री ख़य्याम साहेब और गीतकार हैं जाँ निसार अख़्तर साहेब अपने मशहूर गीतकार जावेद अख़्तर साहेब के वालिद साहेब और अभिनेता फ़रहान अख़्तर के दादा श्री। ख़य्याम साहेब के संगीत में भारतीय साहित्य संगीत की मिठास कूट-कूट कर भरी है। किसी भी गीत को ले लो आपको साहित्य संगीत के तार और तरंग गाते, गुनगुनाते और नाचते मिलेंगे। झीनी-झीनी बारिश की जालीदार बूँदों की झालर को मग्न हो कर देखता मैं अपने घर की खिड़की से, दुनिया के शोर-ओ-गुल से परे किसी अलग ही जहाँ में घूमता मेरा मन सुकून और चैन से सराबोर खोया-खोया। अब्र को निहारते मेरे ये दो नैन जिनमें नमी थी, आस थी, प्यास थी और ख़ुद को खोजने की तलब की मैं किस तरफ़ भाग रहा हूँ। क्या मैं सही हूँ या सही ग़लत से परे मेरे ख़्वाब और ये जो बेचैनी है, ये क्यूँ हैं। क्यूँ हर वक़्त अपनी ही धुन में घूमता हूँ, क्यूँ ला-पता हूँ, क्या है जो पाना चाहता हूँ, किसको पाना चाहता हूँ, या कुछ भी नहीं पाना चाहता क्यूँकि उसको पा लेने के बाद क्या। फिर कोई नई चाह, फिर कोई नई द
ScreenPlay Writer | Author | Lyricist in Bollywood