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Showing posts from June, 2022
Short  Story   "पुश्तैनी हवेली"  पुश्तैनी  हवेली  जिसके हर कोने पे कायी   जमी पड़ी है।  दरों दीवारों पे उम्मीद की दरारें हैं ।  धुँधली  रोशनी के साये और छांव के निशाँ हैं।  परछाइयों के   पैरों   के साएँ , आहटों के शोर हैं ।  सन्नाटों का कोहरा  एकांत में शांत बुत बना खड़ा  है।  रात का बिस्तर सिकुड़ कर जमी पे पड़ा है ।  बरसात की बूँदो के आँसू रोते-रोते निहार रहे हैं। हर  इक दरवाज़ों पे रिश्तों की  हथेलियों की थपथपाहटे हैं ।  मेरी नानी माँ  की पुश्तैनी हवेली  ऐसे ही  खड़ी   है। बचपन में लड़खड़ाते क़दम और तोतली ज़बान में गिरते पड़ते, दौड़ते हुए नानी की बाहों से लिपट जाते। माँ की गोद से भी ज़्यादा प्यारी नानी माँ की बाहें। उनके आगे पीछे बस घूमते रहो दिनभर। नानी माँ के सुख दुःख के कारण उनके नाती और नतनी। आँख और जिगर के टुकड़े। जैसे-जैसे हम बड़े हुए नानी माँ बुज़ुर्ग होती गयी जिसका एहसास मुझे तब हुआ जब वो अपने अंतिम समय में पहुँची। उनको खोने का सत्य सामने था लेकिन फिर भी मुझे उसे मानना नहीं था। उनको खोने की पीड़ा अत्यंत ही दर्दनाक और
Short Story  "चलो पंजाब"   सन 2004, 19 जनवरी।   मैं और मेरे नौ दोस्तों की मंडली निकली पठानकोट हमारे दोस्त विक्की की बहन की शादी के लिए पंजाब। दिल्ली रेल्वे स्टेशन से ट्रेन पकड़ी और सफ़र के लिए सब अपने-अपने हिसाब किताब से साजों सामान लेकर आए थे खाने का, ध्रुमपान, मदिरापान और मनोरंजन का जैसे सतरंज, लूडो, ताश। सर्दी में ट्रेन यात्रा मैने बहुत कम की थी वो भी ऐसे इतने बड़े जमघट के साथ तो मैं बहुत ही रोमांचित और अत्यंत ख़ुश था। मेरे साथ मेरा भाई और अज़ीज़ दोस्त डिम्पल था। बचपन से ही हम दोनों के दूसरे के पक्के याड़ी मतलब कोई त्योहार हो साथ, कोई खेल हो साथ, कहीं जाना हो साथ, DJ पे डान्स करना हो साथ, माँ बाप से गाली खानी हो साथ, किसी से झगड़ा करना हो साथ, लड़की पटानी हो साथ जहाँ तक सोच सकते हो वहाँ तक साथ। विक्की भी बहुत ख़ास दोस्तों में से एक इसलिए तो उसकी बहन की शादी में जा रहे हैं। ट्रेन ने प्लाट्फ़ोर्म से छुक-छुक सीटी मारते हुए चलना शुरू किया और हम सब ने ज़ोर की शोर मचाया "जय माता दी" बोल कर। सब बहुत ख़ुश और मस्ती में चूर। एक अलग ही रंग और रौनक़ थी सबके चेहरे पे मानो ख़ु
 Short Story  "क़िस्सा बारहवीं कक्षा का "  पी. टी. आई. साहेब स्कूल के सबसे खड़ूस, ख़तरनाक और निर्दायी। उनके नाम से पतलून गीली और गला सूख जाता। जिस कक्षा में वो घुसते उस कक्षा में दंगल होता क्यूँकि वो  विद्यार्थीयों  को ऐसे पीटते जैसे दूसरे के खेत में किसी ने अपना बछड़ा छोड़ दिया हो और उस खेत का मालिक आ गया लठ लेकर बिना सोचे समझे सूते जाओ। हर विद्यार्थी का हाथ पैर काँपने लगता उनको आता देख या उनके बारे में कोई बात भी कर ले। जी हाँ! मैं हूँ वो जिसने उनसे पंगा लिया! मैं हूँ वो फ़ौजी अपने स्कूल के विद्यार्थी संग का जाँबाज़ सैनिक जिसको हौसला और भरोशा था कि वो इस शोषण भरे काल का अंत करेगा।   सरकारी स्कूल में पढ़ने का सबसे बड़ा नुक़सान सिर्फ़ लड़के और लड़कियों का स्कूल उसके बग़ल में केवल बारह फ़ीट की दीवार। पी. टी. आई.   साहेब को जिस कक्षा के बच्चों की ज़्यादा शिकायतें आतीं वो उन विद्यार्थियों को नहीं मारते जो बदमाशी करते बल्कि पूरी कक्षा को प्रार्थना मैदान में प्रार्थना के बाद सुबह-सुबह मुर्ग़ा बना कर उसके बाद पीछवाड़े पे लात मारते और बोलते दुबारा मुर्ग़ा बनो। लड़कियाँ अपने स्कूल के
 Short  Story    "छज्जे का इश्क़"   दिल्ली की जून की धूप का रूप इतना चम-चम और चमकीला की उससे नैन मिलाना ना-मुमकिन और उसी धूधिया धूप के सौंदर्य के मन भावन दृश्य में नैन मटक्का हो गया जब गली से गुज़रते वक़्त मोहल्ले में आयी नई-नई किरायेदार से जो तमतमाती धूप में पहले माहले के छज्जे पे ऐसे लटकी हुई थी जैसे सीलिंग से झूमर। उसको देखते ही आँखें चुम्बक के जैसे उसके चेहरे पे चिपक गयी और उसकी चीख़ती आवाज़ भी सुरीली लगी जिससे कान में से ख़ून निकल आए ऐसी पतली तीखी आवाज़। कहते हैं ना पहली नज़र का प्यार अनूठा और चौकाने वाला होता है। बस वही हुआ उसने जब मुझे देखा तो चिल्ला कर बोली हाँ! क्या है? क्या घूर रहे हो? मैं सकपका कर रह गया और गर्दन नीचे करके धीरे से खिसक गया वहाँ से। ज़ालिम और ज़हर ये लड़की कुछ नहीं सोचती है। कहीं भी कुछ भी किसी को भी डाँट  देती है या लड़ पड़ती है। क्रांतिकारी और बाग़ी दोनों। ख़ूबसूरती मनभावन लुभावनी और ख़तरनाक होती हीं हैं।  जब से उसे देखा बस उसके छज्जे पे नज़र की वो नज़र आ जाए और जब आती दिन बन जाता। ख़ुशी- ख़ुशी दिन रात कट जाते। पढ़ायी लिखायी, यारी दोस्ती, भाईचारा