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रात भर

रात भर यही सिलसिला चलता रहे 

इक क़िस्से की कुंडी तुम खोलो 

इक क़िस्से की खिड़की हम खटखटाएँ 

रात भर यही सिलसिला चलता रहे !!!

Poet "Chichi" 

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