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Short Story 

"पप्पी"  


पप्पी मेरा बचपन का दोस्त। दिल्ली की गलियों के घुमक्कड। दिन भर बस इधर उधर मँडराते रहना वजह हो या बेवजह। हर गली, हर सड़क, हर मोहल्ला नाप रखा था हमने। आँख बंद करके बोल दो फलाने के यहाँ जाना है सीधा उसके ठीकने पर क़दम जा कर रुकेंगे। लड़कियों की छुट्टी के वक़्त गली के बाहर बनी पुलिया पर दोपहर बारह बजे सटीक आ कर बैठ जाते और आती जाती सभी लड़कियों को ताड़ना और उनको अपनी निगाह के रास्ते उनके घर तक छोड़ना पुलिया पर बैठे-बैठे जब तक की वो ओझल ना हुई हो आँख से। कमबख़्त मारे, नासपीटे, आवारा, बच्चलन, बे-ग़ैरत, बे-हया ये सब नाम रखे थे लड़कियों ने जिनसे भी हम दोस्ती या मोहब्बत का प्रस्ताव देते। किसी की आँख को एक ना भाते जबकि हम किसी को भी छेड़ते नहीं, ना व्यंग कसते। दोनों रोज़ प्रेमिका की आस लगाए पुलिया पर अपना हुलीय बादल बादल कर बैठ जाते की किसी को तो हम पसंद आएँगे। कोशिश की आस टूटने लगी थी और हम मोहल्ले के सबसे निक्कमे, नकारा, कामचोर, बदनाम बनते जा रहे थे। जिसकी ख़बर हम दोनों को छोड़ कर बाक़ी पूरी दुनिया को थी। हमें तो हम दोनों राम श्याम लगते थे बिलकुल सीधे शरीफ़। जानवर पाल लो लेकिन गलतेफ़मी कतयी नहीं पालनी चाहिए। ऐसे ही कितने बरस तरस तरस गुज़रते गए लेकिन प्रेम और प्रेमिका से हम दोनों का लग्न और कुंडली नहीं मिल रही थी। आख़िरकार हार मान कर पप्पी ने फ़ैसला किया कि वो ब्याह करेगा अब और अपनी पत्नी से ही प्रेम और प्रेमिका का सुख लेगा। बात चली कई जगह वहाँ भी निराशा ही हाथ आ रही थी। क्यूँकि पप्पी था तो तो पप्पू दिखने में दोस्त है लेकिन सच भी तो पता रहता है की कौन कैसा दिखता है। लुगाई चाहिए अति सुंदर और ख़ुद बंदर छाप दंत मँजन। पप्पी की ज़िद थी की लड़की तो सुंदर ही चाहिए दहेज मिले या ना मिले लेकिन उसके पिता को दहेज चाहिए था भर-भर कर लड़की कैसी भी हो और यहीं पर बात अटक रही थी असलियत में। जब किसी लड़की का रिश्ता लाता कोई बिचोलिया पप्पी का बाप लड़की के बाप का पैसे का बूता पूछता और पप्पी लड़की की तस्वीर। कभी लड़की पप्पी को पसंद भी आती तो बाप दहेज पर रुक जाती और कभी पप्पी के बाप को लड़की के बाप का पैसा पसंद आता तो पप्पी अड़ जाता। बस यही चल रहा था कई महीनों से फिर ये दो तीन साल में बीत गया। पप्पी परेशान था कि कैसे इस समस्या का समाधान मिले। वो हर बात मुझ पर डाल देता की बता क्या करें। मैने बोला बाप को जेल करवा दे दहेज माँगने के जुर्म में। उसपे वो भड़क जाता की कैसी बात कर रहा है यार। मैं भी चिढ़ कर बोलता तेरा बाप तुझे पालने के पैसे लड़की के बाप से लेगा क्या। तू कोई बीमा किया हुआ था कि अब बीमा पक्का हो गया पैसे गिनो इसके कितने मिलेंगे। पप्पी के पास मेरी इन बातों का कोई जवाब नहीं होता था। उसके पास किसी भी बात का कोई जवाब नहीं रहता था भोंदू था वो इक दम। लेकिन दोस्त खरा पूरा सोने का सिक्का। दोस्त के लिए जान मान सब हाज़िर बिना सोचे समझे और उसकी यही बात मुझे बहुत पसंद थी कि वो दोस्ती में ईमानदार बहुत था। 

पप्पी के दादा जी की नॉएडा में बहुत ज़मीन थी और वहाँ हुआ आधुनिकीकारण कॉल सेंटर और बड़े-बड़े बिल्डर आए। रिहायसी घरों को बनाने वाले, मॉल बनाने वाले, ऑफ़िस बिल्डिंग बनाने वाले। इनकी सब ज़मीन हाइवे से लगी हुई थी तो मुँह माँगी क़ीमतों पर ज़मीने बिकीं। जिससे अचानक ही बहुत पैसा आ गया और पप्पी के पापा अपने पापा के इकलौते बेटे और कमाल की बात पप्पी भी अपने पापा का इकलौता बेटा। पप्पी के पापा पैसे पकड़ूँ और उसके दादा जी भी। हाए हाए पैसा, कैसे कैसे आए पैसा, कभी हमसे दूर ना जाए पैसा। ये श्लोक उनके जीवन का मूल मंत्र था। पप्पी को दादा जी के पास इतना पैसा मिलने से ख़ुशी तो हुई लेकिन उदासी उससे कहीं ज़्यादा। मैंने पूछा क्या हुआ तू इस बात पर क्यूँ उदास है तो वो बोला अब मेरा बाप और पैसे वाली लड़की ढूँढने लगेगा। मैंने उसकी तरफ़ देखा और ह्म्म कहाँ बस। आज पहली बार उसने कहा देख यार मैं कोई हीरो तो दिखता नहीं हूँ मुझे पता है और तुझे भी पता है बस तू कहता नहीं और सोचता होगा की ये साला ख़ुद को देख नहीं रहा है लेकिन लड़की चाहिए सुंदर।मैंने फिर ह्म्म में जवाब दिया। उसने मेरी देखा और बोला बंदा ख़ुद के लिए इतना भी नहीं चाह सकता क्या अब। मेरा बाप और मेरे बाप का बाप दोनों बस अमीर घर की लड़की ढूँढने में लगे हैं। जो अमीर होगी और सुंदर भी वो मुझसे क्यूँ शादी करेगी तू बता देख कर मुझे करेगी क्या बोल। मैंने बोला बिलकुल नहीं करेगी भाई। हरामखोर झूटे मुँह ही बोल देता हाँ करेगी क्यूँ नहीं करेगी। ये बोल कर वो ग़ुस्सा हो कर चला गया। मैं सोचता रहा मैंने तो कुछ कहा ही नहीं ख़ुद ही ख़ुद के बारे में बोल बोल कर कान से ख़ून निकाल रहा था।  
मैं अपनी प्रेमिका के साथ बाइक पर घूम रहा था जी हाँ मैं घूम रहा था अपनी प्रेमिका के साथ। मैं पप्पी नहीं हूँ और ना ही पप्पू। पप्पी अपनी बाइक पर अपनी मम्मी के साथ थोड़ी दूर से गुज़रा और मुझे देखा। और पलट के देखते-देखते उसने बाइक आगे एक ठेले में भेड़ दी तेज़ी से। मम्मी बाइक से गिर गयी और हाथ टूट गया। मुझे जिसकी कोई ख़बर नहीं। रात को ये ही कोई दस बजे के लगभग आया वो मेरे कमरे में तीसरी मंज़िल पर। मैं लेटा हुआ था चारपाई पर फ़ोल्डिंग वाली। आ कर बग़ल में बैठा मुँह सीताफल जैसे फूला हुआ था। मैंने भी जानबूज के नहीं पूछा क्यूँकि वो फिर ख़ुद को उलटा पुल्टा बोलता जिसके अवज़ में मुझसे सच बुलवाता और नाराज़ हो कर निकल जाता है। कुछ देर मेरी तरफ़ देखा और बोला तू कितना बड़ा दग़ाबाज़ निकला बे। मैंने तुझे राम और ख़ुद को श्याम समझा लेकिन तूने तो मेरी पीठ में ख़ंजर भोंक दिया साले। कैसे कर पाया ये सब तू हाँ बता। है कोई जवाब तेरे पास जवाब इस बात का। मैंने कहा किस बात का जवाब दूँ या क्या कहे जा रहा है। क्या दग़ा दे दिया भाई तुझे। पप्पी तुरंत खड़ा हुआ भाई मत बोल समझा साले दुर्योधन। तूने अकेले अकेले ही लड़की पटा ली और मुझे भनक तक नहीं लगने दी। तेरे चक्कर में मेरी मम्मी का हाथ टूट गया। मेरे चेहरे पर फिर से प्रशंन चिन्ह क्या? मेरी वजह से अंटी का हाथ टूट  गया। अबे क्या फूँक के बैठा है रात में, दारू पी कर आया क्या तू । हाँ अब तू यही सब कहेगा मैंने दारू नहीं ज़हर पिया है आज। मुझे लगता था तू मेरे लिए लड़की ढूँढ के ही रहेगा लेकिन तूने भी मुझे अकेला छोड़ दिया। सच कहा है शेख़ अपना देख। अपना काम बनता भाड़ में जाए जनता। मैं खिसिया गया और  बोला अब मैं अपनी गर्ल फ़्रेंड के साथ घूम भी नहीं सकता क्या। तुझे लड़की नहीं मिल रही इसका मतलब मैं भी बिना गर्ल फ़्रेंड के घूमूँ । अजीब ही बवासीर पाल ली है मैंने अपनी ज़िंदगी में। मैंने बोला सुंदर लड़की ढूँढ, मैंने बोला बाप के कहने पर शादी मत कर। पप्पी को ग़ुस्सा आ गया और बोला मैं जिस भी लड़की को पसंद करता हूँ तू उसे पटा लेता है। इस बात का कोई जवाब है तो वो भी दे दे आज। मैं गया था सब लड़कियों के पास बता। तेरी वो ए ब्लाक वाली जिसके चक्कर में मैंने उसकी माँ की गालियाँ खाईं। उसको मैंने कहा था मुझसे दोस्ती करने को। तेरी बात करने गया था लेकिन उसको मुझसे बात करनी थी। अब तुझसे कोई लड़की पट नहीं रही तो मैं भी तेरे जैसा ही रंडवा घूमूँ और चिल्ला-चिल्ला कर कहूँ शादी करवा दो कोई मेरी बस लड़की सुंदर चाहिए। सूरत नहीं सीरत सुंदर होनी चाहिए समझा। तेरी सीरत सुंदर है पप्पी तो अपने जैसी ढूँढ। शक्ल के चक्कर में अच्छे अच्छों की अक्कल पर पत्थर पड़ गए भाई। सुंदर लुगाई कुछ साल तक भाएगी लेकिन सीरत की धनी लुगाई सारी उम्र। कमीने तूने अंटी को गिराया होगा पक्का बाइक से मेरी खुन्नस में। तू भी ज़हरीला कम थोड़ी है अपने बाप से, पता नहीं कैसे तेरी माँ तुम दो अजगरों को झेलती है। पप्पी हँसने लगा ये सुन कर और मैं भी हँस पड़ा। अगले कुछ दिन ऐसे ही बीतते गए और पप्पी की चचेरी बहन के ससुराल से एक लड़की का रिश्ता आया और पप्पी लड़की की तस्वीर देख कर फूला ना समाया और भागा-भागा मेरे घर आया। मैं घर पर था नहीं तो उसने सब ठीकानों पे फेरा लगाया लेकिन मेरा कहीं कोई अता पता नहीं। वो समझ गया की मैं अपनी गर्ल फ़्रेंड के साथ हूँ। वो मेरे घर की छत पर मेरी प्रतीक्षा करता रहा। मैं गली में घुसा बाइक लेके और जैसे ही घर पहुँचा छत से आवाज़ आयी जल्दी ऊपर आ। मैंने उसको देखा ये छत पे क्या कर रहा है मुझसे पहले और वो भी मेरे बिना। मुझे लगा आज फिर बाप बेटे भिड़ गए। मैं ऊपर पहुँचा और बोला आज फिर लड़ पड़े बाप बेटा। वो बोला नहीं बे यही काम थोड़ी रह गया। ये तस्वीर देख कैसी है ये लड़की मैंने तस्वीर को देखा और बोला लड़की तो बहुत ही सुंदर है। किसकी लुगाई की फ़ोटो लेके छत पर मुझे दिखा रहा है क्या माजरा है भईया। अबे किसी की लुगाई उगाई ना है। मेरी चचेरी बहन के ससुराल से इस लड़की का रिश्ता आया है। मेरी बहन ने भेजी ये फ़ोटो मुझे देखने के लिए और लड़की ने मेरी बहन से कहा कि मैं पप्पी से शादी करना चाहती हूँ। अच्छा बेटे अब ये कुछ ज़्यादा ही नहीं छोड़ दी तूने। पप्पी बोला भाई तेरी क़सम अच्छा माँ की क़सम अब यक़ीन करेगा। लेकिन इतनी सुंदर लड़की को तुझसे ही क्यूँ शादी करनी है और लड़के मर गए। जैसी इस लड़की की सूरत है इसको तो कोई भी मिल जाएगा। शक्ल से पैसे वाली भी दिख रही है तो तुझ जैसे शक्ल के फ़क़ीर से क्यूँ शादी करने को उतावली हुई पड़ी है। भाई जाँच पड़ताल, ठोक़ पीट कर ही शादी के लिए हाँ कारियों वरना बाद में मेरे पास आया ना भगवान क़सम इसी छत से नीचे फैंक दूँगा तुझे समझा। भाई जैसे तुझे यक़ीन नहीं हुआ ना वैसे ही मुझे भी नहीं हुआ था। फिर मैंने अपनी बहन को फ़ोन किया और पूछा इतनी देर सुंदर लड़की है ये तो मुझसे क्यूँ शादी करने को कह रही है तब उसने बोला की तेरी शादी के बारे में बात कर रही थी इससे की कोई अच्छी लड़की नहीं मिल रही है इतने साल से खोज रहे हैं। वो पढ़ने के लिए हॉस्टल गयी हुई थी मेरी शादी के कुछ महीनों के बाद ही कुछ महीने पहले ही आयी और उसके माँ बाप भी लड़का ढूँढने में लगे हैं। उसने मुझे बताया की तूने मेरी शादी में उसको छत से गिरने से बचाया था। तब मुझे याद आया कि ये तो वही लड़की है जो छत पर खड़ी थी अँधेरा था तो उसको पता नहीं था की उस तरफ़ दीवार नहीं मैने इसका हाथ पकड़ के पीछे खींचा था वरना वो गिर कर मर जाती। कमाल की बात है उसको आज तक मैं याद हूँ। मेरी बहन ने बताया उसकी शादी की फ़ोटो की अल्बम देखती रहती है हमेशा। मैंने कहा तो ये सच है इस विवाह प्रस्ताव के पीछे। तो चट मँगनी पट शादी की तैयारी करते हैं। तूने तो हाँ कर दी होगी। पप्पी का जवाब सुन कर मन  हुआ मैं उसकी पप्पी ले लूँ। बोला नहीं हाँ नहीं किया मैंने अपनी बहन से कहा उससे एक बार मिलना है और ख़ुद को उसके सामने खड़ा कर के पूछना है कि मैंने आपकी जान बचाई मेरी जगह कोई भी होता वही करता जो मैंने किया लेकिन आज तुम अति सुंदर और मैं सामने हूँ कैसा भी हूँ। अब देखो और फ़ैसला करो क्यूँकि ये कोई चलता फिरता मोहब्बत का सिलसिला नहीं पूरी उम्र साथ रहने का बंधन है। मैंने उसको देखा और बोला शाबाश मेरे शेर ये हुई ना बात। मेरी बहन आएगी उसको लेके तू साथ चलना। मैंने उसको तरफ़ देखा और बोला सुन मैं नहीं जाने वाला कहीं उसको भी मैं पसंद आ गया तो। हम दोनों हँसने लगे इस बात पर। 

रेस्ट्रॉंट में आमने सामने और सीधा सवाल दागा हमारे लड़के ने बिना हिचकिचाए। लड़की ने भी सीधा जवाब छोड़ा कि मैं यहाँ हूँ सिर्फ़ तुम्हारी वजह से वहाँ कौन होता या नहीं उस वक़्त लेकिन तुम थे। तुमने उस रात मेरी जान बचाई और मैं डरी सहमी तुमसे लिपटी हुई थी तुम चाहते तो कुछ भी फ़ायदा उठा सकते थे मेरा। तुम अच्छे इंसान हो बहुत उसका सबूत तुमने फिर एक बार दिया आज ऐसे मिल कर और ऐसे पूछ कर। मैंने दोनों की तरफ़ देखा और बोला रिश्ता मुबारक हो भाई साहेब और भाभी जी। आज पप्पी की शादी है और उसकी शादी में भासुड़ियाँ ना हो ऐसा हो नहीं सकता। शादी के कार्ड में पप्पी weds प्रियंका लिखवा दिया मैंने क्यूँकि इसका असली नाम मुझे याद नहीं था। बचपन से पप्पी पप्पी ज़बान पर रटा हुआ था वही बोल दिया प्रिंटिंग प्रेस वाले को। वो भी जान पहचान के थे तो उनको भी अजीब नहीं लगा की शादी के कार्ड में पप्पी।  ये छोड़ो इसके बाद उसकी शादी की शेरवानी का पजामा छोटा सिल गया। घोड़ी पर बैठा तो उसके मामा के बदमाश बेटे ने पटाक़ा फोड़ दिया और घोड़ी बिदक गयी तो दूलेह को पटक के मारा ज़मीन पर। लोंडे की कमर चटका दी सरेआम। पप्पी ने मेरे सामने अपने ही भाई को माँ बहन की कई हज़ार गालियाँ दे डाली। मेरी हँसी ना रुके और अपने दूलेह के कुलेह तुड़वा दिए।  वहाँ बारात पहुँची तो पप्पी के पापा गाड़ी से उतरे ताव में पैर फँसा और वो  सीधा मुँह के बल ज़मीन पर। शुक्र है मुँह पर नहीं लगी लेकिन घुटना सूज गया। लँगड़ा लँगड़ा कर पूरा ब्याह निपटाया अपने बेटे का। पप्पी और मेरी दोस्ती उसकी शादी के बाद टूट गयी क्यूँकि मैं दिल्ली से डरबन आ गया। जॉब मिल गयी बहुत बड़ी कम्पनी में अच्छी सैलरी भी थी तो तुरंत देश से प्रदेश निकल लिया। 
पप्पी को सौ पप्पी ऐसा दोस्त सबको मिले।
   






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